दिल्ली-एनसीआरः पीजी में रहने वाली महिलाओं के लिए वर्क फ्रॉम होम करना हुआ मुश्किल, सामने आ रहीं ये समस्याएं
देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद कुछ लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली-एनसीआर की मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाली महिला कर्मियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 
 

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कुछ कंपनियों ने अपने कर्मियों को पहले ही घरों से काम करने की सुविधा दे दी थी, लेकिन मूल रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार या दूसरे प्रदेशों की रहने वाली कर्मियों के लिए घरों तक पहुंचना भी मुश्किल है। जिसकी वजह से उन्हें पीजी में रूकना पड़ा, लेकिन अब वहां रह रही महिलाओं को ज्यादा समस्या हो रही है।

पीजी मालिकों ने किए हाथ खड़े
पीजी मालिकों ने कह दिया है ऐसे हालातों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल सकेंगी। खाना बनाने के लिए कर्मी नहीं आ रहे हैं और न खाने का सामान है। खाना पकाने के लिए न एलपीजी सिलिंडर है और न स्टोव। लॉकडाउन की वजह से कहीं आ जाने की सुविधा भी नहीं है। जिससे वह बुरी तरह फंस गई हैं।

 



मेरठ निवासी पूर्णिमा, पटना निवासी जाह्नवी जैसी सैकड़ों कर्मी रोजमर्रा की मुश्किलों से जूझ रही हैं। गुरुग्राम स्थित एक बीपीओ में कार्यरत जाह्नवी को पीजी में रहने और खाने की परेशानी हुई तो वह सोमवार को एक रिश्तेदार के घर चली गईं। मेरठ निवासी पूर्णिमा के परिजनों ने तमाम कोशिशें कीं, लेकिन उन्हें आनंद विहार बस अड्डे तक पहुंचने के लिए यातायात की सुविधा नहीं मिली। अब पूर्णिमा भी अपने एक रिश्तेदार के घर जाने की तैयारी कर रही हैं।

पैसे तो हैं पर समस्या से निजात नहीं
पीजी में रहने वाली अधिकतर कर्मियों को वहीं खाने की सुविधा मिलती है, लेकिन लॉकडाउन के बाद से वहां हालात बुरे हैं। उनके लिए न तो किचन है और न ही खाना बनाने का कोई इंतजाम। लॉकडाउन के दौरान उनके पास पैसे तो हैं, लेकिन खाने-पीने सहित रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों के लिए परेशान हैं।